World Poetry Day 21 March मैं उन्हें छेड़ूँ और कुछ न कहें चल निकलते जो मै पिये होते क़हर हो या बला हो, जो कुछ हो काश के तुम मेरे लिये होते मेरी क़िस्मत में ग़म गर इतना था दिल भी या रब कई दिये होते आ ही जाता वो राह पर 'ग़ालिब' कोई दिन और भी जिये होते "~मिर्ज़ा ग़ालिब" #WorldPoetryDay #mirza_galib