ग़र हिसाब करने आये वोह मेरी रूह के ज़ख्मों का शायद जान जाए क्या क्या दफ्न है सीने में मेरे मिलना बिछड़ना, मिल के फिर बिछड़ना, यूँ ही मार देगा वोह और क्या क्या तीर लाया है तरकश में तेरे? ग़म-एे-जुदायी #Gham #Hizr #Tarkash #Love #Bichhadna