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ये जो नज़रें झुकाकर तुम कत्ल-ए-आम करती हो, इतना संग

ये जो नज़रें झुकाकर तुम कत्ल-ए-आम करती हो,
इतना संगीन अपराध कैसे तुम सरेआम करती हो......
गर कोई देख ले तुमको कभी ग़लती से इक दफ़ा,
तुम पलट कर देखती हो तो काम तमाम करती हो......

©Poet Maddy ये जो नज़रें झुकाकर तुम कत्ल-ए-आम करती हो,
इतना संगीन अपराध कैसे तुम सरेआम करती हो......
#Murder#Eyes#Crime#Publicly#See#ByMistake#LookBack#Done.........
ये जो नज़रें झुकाकर तुम कत्ल-ए-आम करती हो,
इतना संगीन अपराध कैसे तुम सरेआम करती हो......
गर कोई देख ले तुमको कभी ग़लती से इक दफ़ा,
तुम पलट कर देखती हो तो काम तमाम करती हो......

©Poet Maddy ये जो नज़रें झुकाकर तुम कत्ल-ए-आम करती हो,
इतना संगीन अपराध कैसे तुम सरेआम करती हो......
#Murder#Eyes#Crime#Publicly#See#ByMistake#LookBack#Done.........
manishsaini7413

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