सौदेबाजी बहुत हुई,राजनीति की दुकान में। अब थोड़ा गठबंधन कर ले,बेगानों की हार में। भय सताता बहुत मगर,कुर्सी के संसार में। झोली भरके दिखाएँ,कोरे सपनें बाज़ार में। लूट सको तो लूट लो,राजनीति के व्यापार में। खानापूर्ति दिखावा मात्र हैं,कोरे कागजात में। धुंध में लिपटा शहर,सड़कों पर लगी आग हैं।