कलम मेरी अब रूक रूक कर चलती है वो लोसन दर्द का छुप छुप कर मलती है उसे बड़ा गुरूर था अपनी उम्र ऐ स्याही का देखो जरा अब वो जुक जुक कर चलती है ©सरफराज #BehtiHawaa