दूर बहुत दूर तक ये सोच रखते हैं हम खुदके अंदर खुदको दफ़न रखते हैं। लोग जब अल्फ़ाज़ों को समझते नहीं तो पागल कहते हैं हम मुस्कुराकर आंसुओं को दफ़न रखते हैं। चेहरे के ऊपर एक और चेहरा सबका रहता है हम वाकिफ हैं इसलिए मासूमियत को दफ़न रखते है। रात और तन्हाई अब सच्चे दोस्त हैं मेरे हम सारे दुखों को उन से फिर भी दफ़न रखते है। #दफ़न #yqdidi