तेरे पास आकर भी, हम कभी दूर जा ना सके। तूने छोड़ दिया हमें, पर हम तुझे भुला ना सके। तू मेरे जेहन में दिल में, बसता था मालिक बनकर। हम ही थे जो तेरे दिल में भी, जगह बना ना सके। बहुत कोशिश की मैंने, तुम्हें दिल का हाल बताने की। काश तुम समझते, लेकिन तुम मुझे अपना ना सके। उम्र बिता दी हमने, वस्ल की रात का इंतज़ार करते। पर अफ़सोस हिज़्र के पहले, तेरे करीब आ ना सके। एकतरफा इश्क़ करने की ख़ता, आखिर कर ली मैंने। हालत ऐसी कर ली खुद की, किसी को बता ना सके। ♥️ Challenge-554 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।