तलबगार ये नहीं कि इश्क में कोई रंजिश न हो, महफूज़ इस बात से हैं हम कि, वो हमसे उतनी मिलती ही नहीं... फरेब-ए-हुस्न इन काली रातों का है, कमबख्त चरागों तलें दिन होती ही नहीं... क़त्ल-ए-सरेआम तो हो ही रहा है हमारा, बात ये है कि कत्ल वो ही करे, मगर वो करती ही नहीं। ©DRx Manojeet Singh Bappa #crimestory #katal #public #own #nojohindi #Nojoto #Mood #gunah #gun #Murder