जिस्मानी बंधनों को छोड़ वो रूह का सफर तय हुआ,,!! छोड़ चली वो कई दर्द पीड़ा सिसकियों को, स्वतंत्र उड़ चली वो अनंत आकाश में,, दूर पड़े तन को देख मुस्कुरायी,, क्या थी वो वजह जो जिस्म में रहकर ऐसी शांति ना मिल पायी,,,,,, "जिंदगी बहुत हसीन है इसको पल-पल ना गवाएं,, अच्छे कर्मों में अच्छी संगति में अपनी ऊर्जा को लगाएं,,, जिस्मानी बंधनों को छोड़ वो रूह का सफर तय हुआ,,!! छोड़ चली वो कई दर्द पीड़ा सिसकियों को,