Alone ये झूठ है पर इसे हर दफा लिखुंगा.. पड़ सकें ये जमाना सारा इतना सफा लिखुंगा.., तुम बदले थे कब से सुन रहीं हैं दुनिया आज इस नज्म में खुद को बेवफा लिखुंगा, तुमनें मनाया होगा, हमनें ही नहीं माना होगा शायद, तुम को तो आता था जान हमें ही नहीं आया होगां निभाना शायद, तुम तो चाहतीं थी जन्म जन्म के लिए हम एक हो जाये, मैं ही नहीं चाहता था शायद.. शायद मैंने ही इन्तजार नहीं किया होगा.. तुम ने तो किया था जान पर मैंने ही प्यार नहीं किया होगा शायद.. चल सारी गलती मेरी है आज कबूल करता हूँ. रोजाना तुझे याद करके वक़्त फिजूल करता हूँ अब इन आँखों को तेरा इंतज़ार नहीं है नहीं ऐसा नहीं है की तुझसे प्यार नहीं है पर फिर से तुझे पा सकुं इतनी मेरी औकात कहाँ, तुझ में तो है जान पर मुझमें वो बात अब कहाँ.. खैर अपनी शादी का बुलावा देना मैं आउंगा जरुर एक ही निवाला मैं खाउंगा जरुर आखिर कब तक आसुओं से पेट भरता रहुंगा ऐसे, आखिर कब तक तुझे याद करता रहूंगा.. उस दिन सब के सिर पर सेहरा देखुंगा मैं उस दिन रात भर रुक कर सातों फेरें देखुंगा मैं.. वह सात बचन जब लों गीं तुम ईश्वर की जब कसम जब लोगी तुम तुम्हारी आखों में शर्म देंखनी हैं मुझे.. उस आग 🔥कि लपटें चीख उठें अग्नि इतनी गर्म देखनी है मुझे... उस दिन के बाद हर रात मैं नाचूंगा.. जिस दिन तुम्हारी बारात में नाचूंगा मैं.. कोई पूछेगा की रुक्सती वक़्त आखों में आसुं क्यूँ नहीं. मैं हस के कहूँगा.. मेरे महबूब की शादी हैं मैं नाचूँ क्यूँ नहीं... "Lekhakrang" ©Kareem Ali #ये #झूठ है पर इसे हर #दफा लिखुंगा.. पड़ सकें ये जमाना सारा इतना सफा लिखुंगा.., तुम बदले थे कब से सुन रहीं हैं दुनिया आज इस नज्म में खुद को बेवफा लिखुंगा, तुमनें मनाया होगा, हमनें ही नहीं माना होगा शायद, तुम को तो आता था हमें ही नहीं आया निभाना शायद, तुम तो चाहतीं थी जन्म जन्म के लिए हम एक हो जाये शायद मैं ही नहीं चाहता था शायद.. शायद मैंने ही इन्तजार नहीं किया होगा..