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मन के अंदर गुप्त भाव को अपनी भाषा ही पढ़ सकती। अनगि

मन के अंदर गुप्त भाव को
अपनी भाषा ही पढ़ सकती।
अनगिन देश भ्रमण करने पर
मातृभूमि ही अच्छी लगती।
निज भाषा को पढ़ें लिखें नित
कोशिश कर समृद्ध बनाएं।
इतनी मीठी क्यों लगती हैं,
हिंदी की सुन्दर कविताएँ।

©Shubham Saini
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