बादल, बरखा, सावन, पानी, रहने दो इन आँखों में याद पुरानी रहने दो कितना बदलोगे आखिर में मुझको तुम मुझमे थोड़ी खुद की’ निशानी रहने दो _ समीक्षा सिंह ©Varun Vashisth #varunkagam