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उसको मंजूर नहीं था सायद मेरा होना... या सायद वो मे

उसको मंजूर नहीं था सायद मेरा होना...
या सायद वो मेरे दिल की बातों को कभी पढ़ पाया ही नहीं।।
में अकेला खड़ा, देता रहा आवाजें उसको...
और एक वो था जो सुनकर भी कभी मुझे सुन पाया ही नहीं।।
खड़े हुए उसके इंतजार मे एक अरसा बीता...
मगर वो कमबख्त दोबारा लौट कभी उस रास्ते आया ही नहीं।।
यूं तो कमी ना थी हमको भी चाहने वालों की...
के यूं तो कमी ना थी हमको भी चाहने वालों की...
ख़ैर कमी तो एक रही साहब...
के उसके बाद हमे किसी पर ऐतबार कभी आया ही नहीं।।

©gumnaam_writer011 #aawaj #आवाज
उसको मंजूर नहीं था सायद मेरा होना...
या सायद वो मेरे दिल की बातों को कभी पढ़ पाया ही नहीं।।
में अकेला खड़ा, देता रहा आवाजें उसको...
और एक वो था जो सुनकर भी कभी मुझे सुन पाया ही नहीं।।
खड़े हुए उसके इंतजार मे एक अरसा बीता...
मगर वो कमबख्त दोबारा लौट कभी उस रास्ते आया ही नहीं।।
यूं तो कमी ना थी हमको भी चाहने वालों की...
के यूं तो कमी ना थी हमको भी चाहने वालों की...
ख़ैर कमी तो एक रही साहब...
के उसके बाद हमे किसी पर ऐतबार कभी आया ही नहीं।।

©gumnaam_writer011 #aawaj #आवाज