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बह रही थी मेरी तमन्नाओ की कश्ती जिसकी चढ़ी दरिया मे

बह रही थी मेरी तमन्नाओ की
कश्ती जिसकी
चढ़ी दरिया में वो उतर गई यारो
मैं जिसके लिखने के अरमान में 
जिया अब तक 
वो टूटे दिल का फ़साना बिखेर गया यारो......!!
(मानवेन्द्र की कलम से) #मानवेन्द्र_की_कलम_से
बह रही थी मेरी तमन्नाओ की
कश्ती जिसकी
चढ़ी दरिया में वो उतर गई यारो
मैं जिसके लिखने के अरमान में 
जिया अब तक 
वो टूटे दिल का फ़साना बिखेर गया यारो......!!
(मानवेन्द्र की कलम से) #मानवेन्द्र_की_कलम_से