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रोगों का कारण : धी धृति स्मृति विभ्रष्ट: कर्मयत्

रोगों का कारण : 
धी धृति स्मृति विभ्रष्ट: कर्मयत् कुरुत्ऽशुभम्।
प्रज्ञापराधं तं विद्यातं सर्वदोष प्रकोपणम्॥
                                (च. सं. शरीर. 1/102)
अर्थात् धी (बुद्धि), धृति (धैर्य) और 
स्मृति (स्मरण शक्ति) के भ्रष्ट हो जाने 
पर मनुष्य जब अशुभ कर्म करता है तब 
सभी शारीरिक और मानसिक दोष प्रकुपित 
हो जाते हैं। इन अशुभ कर्मों को 'प्रज्ञापराध' 
कहा जाता है। जो प्रज्ञापराध करेगा उसके 
शरीर और स्वास्थ्य की हानि होगी और 
वह रोगग्रस्त हो ही जाएगा।



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#uvsays
रोगों का कारण : 
धी धृति स्मृति विभ्रष्ट: कर्मयत् कुरुत्ऽशुभम्।
प्रज्ञापराधं तं विद्यातं सर्वदोष प्रकोपणम्॥
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अर्थात् धी (बुद्धि), धृति (धैर्य) और 
स्मृति (स्मरण शक्ति) के भ्रष्ट हो जाने 
पर मनुष्य जब अशुभ कर्म करता है तब 
सभी शारीरिक और मानसिक दोष प्रकुपित 
हो जाते हैं। इन अशुभ कर्मों को 'प्रज्ञापराध' 
कहा जाता है। जो प्रज्ञापराध करेगा उसके 
शरीर और स्वास्थ्य की हानि होगी और 
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