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तन्हाई की तरह अकेले हम रहते हैं, दुनिया की भीड़ में

तन्हाई की तरह अकेले हम रहते हैं,
दुनिया की भीड़ में भी अपने से दूर रहते हैं।

खुशियों से भरी ये दुनिया हमें खो देती है,
जब तन्हाई में होते हैं, तब सब झूठा लगता है।

बेजान सा जहां हमें तन्हाई में मिलता है,
फिर भी वो जहां हमें सबसे ज्यादा अपना लगता है।

तन्हाई की तरह अकेले हम रहते हैं,
पर कभी-कभी तन्हाई हमें नये संगीत सिखलाती है।

जो तन्हाई से नहीं जीते, वो कभी भी नहीं हारते,
क्योंकि तन्हाई उन्हें अपनी सबसे अमूल्य सबक सिखलाती है।

तन्हाई की तरह अकेले हम रहते हैं,
पर हमेशा दुनिया के साथ एक अलग रिश्ता बनाते हैं।

©Sakshi Gupta
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