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White रोशनी के नाम पे छला जा रहा है, रात! कभी रही

White रोशनी के नाम पे छला जा रहा है,
रात! कभी रही ही नहीं,
अंधेरा! कभी रहा ही नहीं,
रात की जगह बरात सोचो,
अंधेरा की जगह पुराना ' अंधेपन ' को रखो,
अब जाके नूर-ए-नजर है,
और क्या आगाज है?
तुकबंदी में प्रयागराज है ।
भूल जाओ इलाहाबाद,
कहां से आया 'आगाज'?
शब्द संस्कृत का तो नहीं।
बस झूमो सुनते,
न सोचो,क्या रहस्य,क्या राज?

©BANDHETIYA OFFICIAL #Thinking #छल छलनी कर रहा। शायरी शायरी attitude शायरी हिंदी दोस्त शायरी शायरी हिंदी में Rakesh Srivastava  Internet Jockey  advocate SURAJ PAL SINGH  Mahendra Maddheshiya Official  Madhusudan Shrivastava
White रोशनी के नाम पे छला जा रहा है,
रात! कभी रही ही नहीं,
अंधेरा! कभी रहा ही नहीं,
रात की जगह बरात सोचो,
अंधेरा की जगह पुराना ' अंधेपन ' को रखो,
अब जाके नूर-ए-नजर है,
और क्या आगाज है?
तुकबंदी में प्रयागराज है ।
भूल जाओ इलाहाबाद,
कहां से आया 'आगाज'?
शब्द संस्कृत का तो नहीं।
बस झूमो सुनते,
न सोचो,क्या रहस्य,क्या राज?

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