White रोशनी के नाम पे छला जा रहा है, रात! कभी रही ही नहीं, अंधेरा! कभी रहा ही नहीं, रात की जगह बरात सोचो, अंधेरा की जगह पुराना ' अंधेपन ' को रखो, अब जाके नूर-ए-नजर है, और क्या आगाज है? तुकबंदी में प्रयागराज है । भूल जाओ इलाहाबाद, कहां से आया 'आगाज'? शब्द संस्कृत का तो नहीं। बस झूमो सुनते, न सोचो,क्या रहस्य,क्या राज? ©BANDHETIYA OFFICIAL #Thinking #छल छलनी कर रहा। शायरी शायरी attitude शायरी हिंदी दोस्त शायरी शायरी हिंदी में