चमचे इस संसार में भाती भाती घनघोर । ज्ञान बवंडर पेलते ना देखे कीत और । चाटन की हद कर रहे खाली डब्बा ढोर । सत्तर बरस चाटत भये नहीं हो रहे बोर । पर नारी परदेश की पर पंछी का पात । चुपड़ी रोटी छोड़कर खाते बासी भात । थोड़ा चमचे भाईयो भक्तन से लेलो ज्ञान । कुछ भी हो है देश के देशी का गुणगान । इन चमचों के चक्कर में देश हो रहा झंड । अब भी तुम सुधरे नहीं तो तुम्हारी ........................ (आपके हिसाब से कमेन्ट में लिख लो ) गौरव दवे निरंतर..........! #गुलाम