Nojoto: Largest Storytelling Platform

लोग भी कहाँ मौसम से परे है मन भरते ही निकल जाते है

लोग भी कहाँ मौसम से परे है
मन भरते ही निकल जाते हैं...
कुछ स्थायी नही है जिंदगी में
खुशियाँ और दर्द भी जंग कर जाते है... 
साँसें भी कहाँ टीकती है अपनी
पल में आकर,निकल जाते है...
और कीसी की क्या बात करें साहब! 
जब अपनें ही अपनों को कुचल जाते है... 
जब अपना दिल खुदसे बेवफ़ा होता है
पालकर दर्द गैरों के,अश्क़ों के समंदर बह जाते है.... 

 ❤️Just Thoughts 💖 Collab 🤗 

🙏🏻एक कोशिश निदा फ़ाज़ली जी के शब्दों से जुड़ने की 🙅🏻‍♀️


आइए कुछ लिखते हैं। मेरी पंक्ति के साथ अपनी पंक्तियाँ जोड़ें...
( ग़ज़ल )
लोग भी कहाँ मौसम से परे है
मन भरते ही निकल जाते हैं...
कुछ स्थायी नही है जिंदगी में
खुशियाँ और दर्द भी जंग कर जाते है... 
साँसें भी कहाँ टीकती है अपनी
पल में आकर,निकल जाते है...
और कीसी की क्या बात करें साहब! 
जब अपनें ही अपनों को कुचल जाते है... 
जब अपना दिल खुदसे बेवफ़ा होता है
पालकर दर्द गैरों के,अश्क़ों के समंदर बह जाते है.... 

 ❤️Just Thoughts 💖 Collab 🤗 

🙏🏻एक कोशिश निदा फ़ाज़ली जी के शब्दों से जुड़ने की 🙅🏻‍♀️


आइए कुछ लिखते हैं। मेरी पंक्ति के साथ अपनी पंक्तियाँ जोड़ें...
( ग़ज़ल )
rashmihule2974

Rashmi Hule

New Creator