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कैसे कहूं क्या हैं ? मेरे पापा, मेरी ज़मी आसमा हैं

कैसे कहूं क्या हैं ? मेरे पापा,
मेरी ज़मी आसमा हैं पापा।
शब्दों में जिन्हें बयां न कर सकूं,
उम्मीद की ऐसी हर किरण हैं पापा।

कैसे कहूं क्या हैं ? मेरे पापा,
आंखों की चमक है पापा।
संघर्षों पर सदैव विजय पाऊं,
आत्मविश्वास की मजबूत नीव है पापा।

कैसे कहूं क्या हैं ? मेरे पापा,
मेरे चेहरे की मुस्कान है पापा।
तमाम उम्र जिनका साथ चाहूं,
मेरे जीवन की हर ख़ुशी हैं पापा।

कैसे कहूं क्या हैं ? मेरे पापा,
तपती धूप की छांव है पापा।
उंगली पकड़कर जिन ने चलना सिखाया,
बस यही तो कहूं मेरी दुनिया है पापा।

©Sunita suryavanshi
  #Journey मेरी दुनिया है मेरे पापा।

#Journey मेरी दुनिया है मेरे पापा। #कविता

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