इश्क़ नहीं है तुमसे ये कैसे कह सकते है हम, तुझे एक झलक देखे बिना कैसे रह सकते है हम। तेरे गलियों में गुजरना और तुम्हे बनवारी के पान ठेले में बैठ कर देखना अच्छा लगता है। इश्क़ नहीं है ये कैसे कह सकते है हम। ओ बनवारी की कत्त्थे की तरह तेरे होंठो की लाली, ओ पान में लगने वाली लौंग की तरह तेरे कानों की बाली। पान के चुने की तरह तेरे दांतो की चमक , और पान को खाते ही तुमसे मिलने की ललक। इश्क़ नहीं है तुमसे ये कैसे कह सकते है हम, तुझे एक झलक देखे बिना कैसे रह सकते है हम। -Hem kumar ,komal , kuldeep,ajay verma,devwrat ishq nhi hai tumse ye kaise kah skte hai ham