रूप गजानन धर के तेरा नाश करेगा "गजवंशज" ज्यों मानवता का नाश करें तू, तेरा भी विनाश करेगा गजवंशज लज्जित मानवता आज लज्जित वो विधाता है क्यों रचा संसार ये मैने सोच के वो पछताता है त्राहिमाम विधाता