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कोई आए तो जाने मेरी शब कैसे होती है न वक्त बीतता ह

कोई आए
तो जाने मेरी शब कैसे होती है
न वक्त बीतता है
न रात गुजरती है!

होती है शाम तेरे खत के आसार में
मैं ढूंढता हूं सही शाम तुझे हर रोज बाजार में

न खत मिले तेरा
न ही  होता दीदार है
फिर भी अपने वक्त  का
मुझे रहता इंतजार है!

©ADiL KHaN काश तू ऐसे आए!
जैसे कोई दुआ!
कोई आए
तो जाने मेरी शब कैसे होती है
न वक्त बीतता है
न रात गुजरती है!

होती है शाम तेरे खत के आसार में
मैं ढूंढता हूं सही शाम तुझे हर रोज बाजार में

न खत मिले तेरा
न ही  होता दीदार है
फिर भी अपने वक्त  का
मुझे रहता इंतजार है!

©ADiL KHaN काश तू ऐसे आए!
जैसे कोई दुआ!