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लाख सितारे हों आसमां में, पर मेरे महबूब सा एक नहीं

लाख सितारे हों आसमां में,
पर मेरे महबूब सा एक नहीं।।


मेरे महबूब में बो शीतलता है
जो चांद की चांदनी में नही।।

©Shiva Mishra
  #citylight लाख सितारे हों आसमां में,
पर मेरे महबूब सा एक नहीं है


मेरे महबूब में बो शीतलता है
जो चांद की चांदनी में न है
shivamishra6878

Shiva Mishra

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#citylight लाख सितारे हों आसमां में, पर मेरे महबूब सा एक नहीं है मेरे महबूब में बो शीतलता है जो चांद की चांदनी में न है #Poetry

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