छोटी सी बगिया में गुलाब बनकर खिला था कोई। खुशबू बनकर सांसों में घुला था कोई। सुनसान पड़े खंडहर में हिला डुला था कोई। अपने गुलशन में भी चांद खिला था कोई। न जाने किस मौसम की नजर लग गई। उजड़ गया गुलशन, खुशबू राख हो गई। गुजरा मैं जो अरसे से अपने गुलशन से, वो फूल बनकर मुझे मिला तो सही मगर उसकी महक अब अजनबी सी बन गई। फूल बन कर कभी मिला था कोई... #कभीमिलाथाकोई #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #yqhindi #pyar #फूल #खुशबू