इन दबी हुई यादगारों से ख़ुशबू आती है और मैं पागल हो जाता हूँ जैसे महामारी डसा चूहा बिल से निकल कर खुले में नाचता है फिर दम तोड़ देता है। न जाने कितनी बार मैं नाच-नाच कर दम तोड़ चुका हूँ और लोग सड़क पर पड़ी मेरी लाश से कतरा कर चले गए हैं। Kavita mein aao Kho Jaaye