हर रूप में है प्रिय, हर रूप में भाये, भाव निश्चल बहें सदा, नाम अनेकों है कहलाये... कौन नाम से पुकारुं उसको, किस रूप में ध्याऊं उसको.. ईश्वर तो बस एक ही है, मुक्ति का मार्ग वही है.. जिस भाव से देखा उसको, रूप अपना वही दिखलाया मैं नादान बनी रही अब तक, संग संग मेरे चलता आया..🙏🙏