प्रकृति की गोद में तुम्हारे यादों के मध्य में..…. रंग बिरंगी फूलों के तट पर तुम उड़ती हुई आओ पंक्षी सा..…. और तुम्हारी रूह से हो एक सौम्य मिलन..… भर लूँ तुम्हें मैं अपनी बाहो में.…… हर ओर हो बस फूलों की मुस्कुराहटें.... तुम्हारी रूह हो अपने शुद्ध रूप में..…… अपने अनंत प्रेम स्वरूप में ..…. न हो कोई प्रतिरोध तुम खिलो उन्मुक्त सा ..…… मेरी साँसें सहला जाऐ गाल मेरी फूँक छेड़ जाऐ तमहारे केसूं.….. बारिश के टुकड़ो से शीतल हो मादक मन अपना.... हर बन्धन से दूर शालीनता के चादर तले ओढ़ के देखें तुम्हारी अजंता सी अंगड़ाई जरा...…… मेरी गर्म साँसों के साथ धड़कनों का जगना तुम्हारी आलिंगन के साथ नींद का सकूँ होना.... सागर के नमकीन पानी का मधुर संगीत सुनना.……. सारे शोर शराबे से दूर प्रकृति के गोद में "तुम्हारी कंचन सी रूह" अपने प्रेम के रंग में खुंद को घोलना महसूस करना..…. 🤔निशीथ🤔 ©Nisheeth pandey प्रकृति की गोद में तुम्हारे यादों के मध्य में..…. रंग बिरंगी फूलों के तट पर तुम उड़ती हुई आओ पंक्षी सा..…. और तुम्हारी रूह से हो एक सौम्य मिलन..… भर लूँ तुम्हें मैं