उजड़ गया है आशियाना तो क्या उम्मीदें अभी जिंदा है,है बांकी ये ज़िन्दगी मेरी है,सफर भी मेरा मंज़र में कहीं, अब भी तिनका है बांकी #पारस #उम्मीदें #आशियाना