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वो चाँद भी नहीं निकला मेरा, उसे कितनो ने सवारा था.

वो चाँद भी नहीं निकला मेरा, उसे कितनो ने सवारा था... 
कभी ईद का बना था कभी करवाचौथ पर आया था... 
निहार रही थी आँखे उसको, कुछ पलो के बाद अंधेरा साया था... तु भी निकला उस बेवफा की तरह, न जाने कितनो ने तुझको मेहबूब माना था... Anuj Yadav Er Raj Yadav //diksha// MD Mannan anssri Supriya Arya
वो चाँद भी नहीं निकला मेरा, उसे कितनो ने सवारा था... 
कभी ईद का बना था कभी करवाचौथ पर आया था... 
निहार रही थी आँखे उसको, कुछ पलो के बाद अंधेरा साया था... तु भी निकला उस बेवफा की तरह, न जाने कितनो ने तुझको मेहबूब माना था... Anuj Yadav Er Raj Yadav //diksha// MD Mannan anssri Supriya Arya
arunendra1862

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