इल्म उस 'एक' का है वो तुझमे, है वही मुझमे उसकी शिरकत हर तिनके से है ये नदियाँ, ये फूल, पेड़ सब उसी के है सब मे है उसकी खूबसूरती , एक,बराबर मत कर ग़ुरूर अपने होने का, यूँ की उसके वज़ूद को ही रोंद दे क्यों ढूंढे उसको तू यहाँ वहां जब बैठा है वो भीतर कहीं छुपके| मन के पर्दे खोल भी दे अब रुबरू हो पायेगा उस 'एक ' से तभी उसकी शख्सियत से मुख़ातिब होना आसान नही है ढोंगियों के लिए | इल्म उस एक का,हर जर्रे से मिलता है नियत साफ हो गर, तो खुदा, खुद मे ही मिल जाता है| #yqdidi #hindi #urdu #AakankshaTyagispeaks #aakankshatyagispeaks #sufism