तू गिराता रहा उस मकां की हर इक ईंट को, जिसे अपने पसीने से उसने खड़ा किया था। उसके पिछ्ले जन्म का ही कोई पाप होगा, संपोले को अमृत पिला जो बड़ा किया था। कुछ एहसान-फरामोश ऐसे भी होते हैं। इसके कई मायने निकल सकते हैं और ये अलग अलग परिस्थितियों में भी बैठाई जा सकती है। अंजान 'इकराश़' #YqBaba #YqDidi #IkraashNaama #Bounadary