रास्ते कहीं तो रुकते होंगे, कहीं किसी मोड़ पर तो, कभी किसी मंज़िल पर, लेकिन तय करने वाला, हमेशा कोई मुसाफिर ही होता है। रास्तों की कोई मंजिल नहीं, वो तो बस अपनी दायरों में, सिमटी हुई होती है, कई मुसाफिर आते हैं, और चले जाते हैं। ।।शुक्रिया।। ***बिना*** (25/06/22) *********** ©BEENA TANTI #रास्तें