‘ क्यूँ बदल गया इंसान ‘ (to be continued in caption 👇🏻) क्यूँ बदल गया इंसान ? क्यूँ बदल गया इंसान ? बेदर्द की राह से दर्द की आह तक, आसुओं की चाह सी आखों की कराह तक, मजबूरियों के बाँह से हैवानियत की वाह तक, क्यूँ बदल गया इंसान ?