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ये विडंबना सामाज़ ने बनाई है मर्द हो तुम, तुम कमजोर

ये विडंबना सामाज़ ने बनाई है मर्द हो तुम,
तुम कमजोर नही हो सकते मजबूर होकर टूट सकते हो
 पर रो नही सकतें, 
मुश्किलों से लड़ सकतें हो तकलीफों में रो नही सकतें,
 ये सामाज़ की बातें हैं 
जो कुछ छोटी सोच वाले पुरुषों ने बनाई है।
स्त्री हो या पुरुष दर्द सबको होता है 
फिर क्यों ये बात
जमाना कहता है की मर्द को दर्द नही हो सकता
 न वह किसी के कांधे मे सर रख कर रो सकता 
इंसान तो वो भी है दिल तो उसका भी दुखता है 
जब कोई अपना छोड़ कर जाता है 
जब कोई अपना दिल तोड़ता है 
तो मर्द क्यों रोये नही आंशुओ में हक़ तो सबका होता है।

©Poonam Nishad
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