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दर्द का रिश्ता ही निभाता कोई हँसा हँसा कर

दर्द  का  रिश्ता  ही  निभाता  कोई
हँसा  हँसा  कर  ही  रुलाता  कोई !

अपनों-सा होता कोई इक अज़नबी
नाम  मेरा लेकर  मुझे बुलाता कोई !

हासिल-ए-इश्क़ फ़क़त दर्द ही तो है
अश्क़ों  से आँखें  ही  धुलाता  कोई !

ख़ामोशी ही  बन जाती ज़ुबाँ सनम
आँखों  से  ही  कुछ  सुनाता  कोई !

दबी ख़्वाहिशों के  सो जाने तलक़
गोद में  सर मेरा रख सुलाता कोई !

मेरी ज़िद से  जब  सब परेशाँ होते 
मलय मुझे देख के मुस्कुराता कोई !

©malay_28 #अज़नबी
दर्द  का  रिश्ता  ही  निभाता  कोई
हँसा  हँसा  कर  ही  रुलाता  कोई !

अपनों-सा होता कोई इक अज़नबी
नाम  मेरा लेकर  मुझे बुलाता कोई !

हासिल-ए-इश्क़ फ़क़त दर्द ही तो है
अश्क़ों  से आँखें  ही  धुलाता  कोई !

ख़ामोशी ही  बन जाती ज़ुबाँ सनम
आँखों  से  ही  कुछ  सुनाता  कोई !

दबी ख़्वाहिशों के  सो जाने तलक़
गोद में  सर मेरा रख सुलाता कोई !

मेरी ज़िद से  जब  सब परेशाँ होते 
मलय मुझे देख के मुस्कुराता कोई !

©malay_28 #अज़नबी
malay285956

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