दर्द का रिश्ता ही निभाता कोई हँसा हँसा कर ही रुलाता कोई ! अपनों-सा होता कोई इक अज़नबी नाम मेरा लेकर मुझे बुलाता कोई ! हासिल-ए-इश्क़ फ़क़त दर्द ही तो है अश्क़ों से आँखें ही धुलाता कोई ! ख़ामोशी ही बन जाती ज़ुबाँ सनम आँखों से ही कुछ सुनाता कोई ! दबी ख़्वाहिशों के सो जाने तलक़ गोद में सर मेरा रख सुलाता कोई ! मेरी ज़िद से जब सब परेशाँ होते मलय मुझे देख के मुस्कुराता कोई ! ©malay_28 #अज़नबी