आंखे ऐसी जैसे, कि गुलाब की पंखुड़ी, होंठ ऐसे जैसे, कि हो गुलाब की कली, इतनी खूबसरत, कि खुद वो एक गुलाब थी, अब कैसे कोई उस गुलाब को गुलाब दे? -आर्यन #RoseDay