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-------- *गज़ल*------- यार यों मुस्करा करके वक्त त

-------- *गज़ल*-------
यार यों मुस्करा करके वक्त तुम ज़ाया करती हो।

तो दिल गहराई तक क्यो हमेशा जाया करती हो।


रूहानी रिश्ता समझ तितलियों ने क्या कह दिया।

कलियों जो अब तुम भँवरों को पराया करती हो।


दिल समंदर है मेरा जल वैसे ही खारा बहुत है।

नदियों सूखकर क्यो आँसू तुम बहाया करती हो।


तलबगार हूँ तेरा "विशिष्ट" कोई शायर तो नही।

दिल  मेहमान  हूँ तेरा  तो क्यों सताया करती हो।

  अशोक "विशिष्ट" #ग़जल...
-------- *गज़ल*-------
यार यों मुस्करा करके वक्त तुम ज़ाया करती हो।

तो दिल गहराई तक क्यो हमेशा जाया करती हो।


रूहानी रिश्ता समझ तितलियों ने क्या कह दिया।

कलियों जो अब तुम भँवरों को पराया करती हो।


दिल समंदर है मेरा जल वैसे ही खारा बहुत है।

नदियों सूखकर क्यो आँसू तुम बहाया करती हो।


तलबगार हूँ तेरा "विशिष्ट" कोई शायर तो नही।

दिल  मेहमान  हूँ तेरा  तो क्यों सताया करती हो।

  अशोक "विशिष्ट" #ग़जल...