ये शायरी ये गज़लें ये वाक्या _मेरी खुद की कमाई है मैंने सुलगाया है खुद को _ भोर की अंगड़ाई मे वो कह देते हैं _ लिखती अच्छा हो, जलाया है किसी ने सच तो ये है _जब इंसान किसीको लिखना शुरू कर दे उसकी मौत उसकी जिंदगी से तभी हो जाती है ये लिखना कारवां है जीने का _ जिंदा रहने का ख्वाब देखने का _खुद को खुदा से बांधने का उसको लाना तो बहाना है _ असल बात लिखना है कौन समझाए यहाँ खुदको _जीवन का चक्र पुराना है ©Rumaisa #likhna #vajah #shyar