“अकेलापन” कुछ राज़ सीने में दब कर रह गए नासूर बन दिल को चुभते रहे कुछ कहूंँ या चुप रहूंँ मैं दिल मेरा असमंजस में है ये सुनी सुनी रातें बहुत सताती हैं हर वक्त सिर्फ़ तुम्हारी याद आती है उनकी हर गलतियों को नादानी समझ हम भूलते गए आज तक ना समझा नादान वो हैं या हम तन्हा सी ज़िन्दगी तन्हा से हम भटक रहें हैं यूँही तन्हा हम ना मंज़िल का पता है ना ही है रास्ते का कोई ख़बर ये ज़िन्दगी कुछ बताती भी नहीं जाऊंँ तो जाऊंँ अब किधर #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #नववर्ष2022 #कोराकाग़ज़महाप्रतियोगिता #विशेषप्रतियोगिता #kkdrpanchhisingh