भले ही अपनी खुशियों में करना किसी को भी शामिल ..................कोई फर्क नहीं पड़ता मुझे, पर हैं ख्वाइश मेरी,अपने गम तो सिर्फ तुम मेरे साथ ही बाटना..। ...........नहीं है शोक मुझे घूमने का, कश्मीर या मंसूरी में तुम तो बस घर के पास वाले गॉर्डन में ही ले जाना...। ..........नहीं रखती मैं कोई उम्मीद तुमसे महँगे तोहफों की मेरी नादन महंगी गलतियों पर डांटना नहीं, तुम तो मुझे स्माइल के साथ तोहफे में, .........दिल से बस एक माफ़ी ही दे दिया करना...। 😎khwaish.......💞💞