पहिए पे है यह जिंदगी, कभी गिरी तो कभी चढी, कभी लुढकी यह ढलान पे, कभी घसीटी पूरी जान से, कहीं रोड़े-कंकर,कहीं फिसलन कहीं फूलों की नर्मी,कहीं कांटों की चुभन, संभाले कोई कभी,कभी कोई भी ना संभाले, खुद गुजरना है अगर,तो मरहम साथ उठाले, चोट भी है कभी,कभी तो है दिलासे, जिंदगी है यह,जाहिर है होंगे तमाशे, बेवसन आए और देखो ले गए कफन, बस इतनी दौलत कमाई जीवन मे "रत्नम", मझधार पे है यह जिंदगी, कभी उठी तो कभी डूबी, कभी सौदे करे यह उफान से, कभी मौसम से हुए,परेशान से कहीं घहरा समंदर,कहीं किनारों पे जीवन, कहीं रेत की गर्मी,कहीं पैरों पे जख़्म ।। for weak eyes.. पहिए पे है यह जिंदगी, कभी गिरी तो कभी चढी, कभी लुढकी यह ढलान पे, कभी घसीटी पूरी जान से, कहीं रोड़े-कंकर,कहीं फिसलन कहीं फूलों की नर्मी,कहीं कांटों की चुभन,