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India quotes "हे राष्ट्रभक्तों!" निज चेतना मरी

India quotes  "हे राष्ट्रभक्तों!" 

निज चेतना मरी जिनमें बहुत है द्रोही , जान हरो।
भारत को खंडित करने के, सपनों का ही खंडान करो।।
जो राष्ट्रभक्त या स्वराष्ट्र का, अपमान करे, एक कार्य करो।
हे राष्ट्रभक्त! मैं कहता हूँ , उस द्रोही का संहार करो।। 

बहुतों से हुआ सामना अब तक, बहुतों ने ललकारा है।
पर क्या भारत का वीर-पुत्र, किसी कायर से हारा है??
तुम एक विरक्ति ऐसी जगाओ, कि रक्त-रक्त से प्राण भरो।
हे राष्ट्रभक्त! मैं कहता हूँ, उस द्रोही का संहार करो।। 

इस सोने की चिड़िया को जिसने पत्थर करके छोड़ दिया।
उस पत्थर की- सी प्रतिमा को भी , दुत्कारों ने तोड़ दिया ।।
फिर भी मैं कहता, "शौर्यवीर! , उस स्वप्न शिला आधार धरो।"
हे राष्ट्रभक्त! मैं कहता हूँ, उस द्रोही का संहार करो।। 

किससे?कबतक?क्या सहते हो?, विचार मात्र में लगे रहते हो।
यह भी सोचो जीवनशैली का, एक न एक जब अंत होगा।।
उस अंत में कर्ज चुकाने के , बारे में तुम क्या कहते हो?
मातृभूमि का बहुत कर्ज है तुमपर, उसको शत्-शत् पार करो।
हे राष्ट्रभक्त! मैं कहता हूँ, उस द्रोही का संहार करो।। 

अपने दिल को, अपने मन को, थोड़ा कठिन तैयार करो।
भारत के छप्पन इंची का , ज़रा जटिल विहार करो।।
तुम वीर-पुत्र हो बिना डरे, तत्क्षण द्रोही पर वार करो।
हे राष्ट्रभक्त! मैं कहता हूँ, उस द्रोही का संहार करो।।
हे राष्ट्रभक्त! मैं कहता हूँ, उस द्रोही का संहार करो।।

©आशुतोष आर्य "हिन्दुस्तानी" #आशुतोष_आर्य 
#स्वतंत्रता_दिवस
#वतन #राष्ट्र #देश
#अखण्ड_भारत
#राष्ट्रप्रेम🇮🇳 
#देशभक्ति
India quotes  "हे राष्ट्रभक्तों!" 

निज चेतना मरी जिनमें बहुत है द्रोही , जान हरो।
भारत को खंडित करने के, सपनों का ही खंडान करो।।
जो राष्ट्रभक्त या स्वराष्ट्र का, अपमान करे, एक कार्य करो।
हे राष्ट्रभक्त! मैं कहता हूँ , उस द्रोही का संहार करो।। 

बहुतों से हुआ सामना अब तक, बहुतों ने ललकारा है।
पर क्या भारत का वीर-पुत्र, किसी कायर से हारा है??
तुम एक विरक्ति ऐसी जगाओ, कि रक्त-रक्त से प्राण भरो।
हे राष्ट्रभक्त! मैं कहता हूँ, उस द्रोही का संहार करो।। 

इस सोने की चिड़िया को जिसने पत्थर करके छोड़ दिया।
उस पत्थर की- सी प्रतिमा को भी , दुत्कारों ने तोड़ दिया ।।
फिर भी मैं कहता, "शौर्यवीर! , उस स्वप्न शिला आधार धरो।"
हे राष्ट्रभक्त! मैं कहता हूँ, उस द्रोही का संहार करो।। 

किससे?कबतक?क्या सहते हो?, विचार मात्र में लगे रहते हो।
यह भी सोचो जीवनशैली का, एक न एक जब अंत होगा।।
उस अंत में कर्ज चुकाने के , बारे में तुम क्या कहते हो?
मातृभूमि का बहुत कर्ज है तुमपर, उसको शत्-शत् पार करो।
हे राष्ट्रभक्त! मैं कहता हूँ, उस द्रोही का संहार करो।। 

अपने दिल को, अपने मन को, थोड़ा कठिन तैयार करो।
भारत के छप्पन इंची का , ज़रा जटिल विहार करो।।
तुम वीर-पुत्र हो बिना डरे, तत्क्षण द्रोही पर वार करो।
हे राष्ट्रभक्त! मैं कहता हूँ, उस द्रोही का संहार करो।।
हे राष्ट्रभक्त! मैं कहता हूँ, उस द्रोही का संहार करो।।

©आशुतोष आर्य "हिन्दुस्तानी" #आशुतोष_आर्य 
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