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मेरे आख़री वक़्त में रोने वालो, मुझे जीते जी कभी हंस

मेरे आख़री वक़्त में रोने वालो,
मुझे जीते जी कभी हंसाया होता,
ये जो लगी है जाने पर आज भीड़ मेरे,
कभी जीते जी ही ऐसा मेला लगाया होता,
आज सुनने को जो आवाज़ मेरी बेचैन हो रहे हो, 
कभी दो वक़्त ही साथ हमारे बिताया होता,
ये जो अब मुझे अपना बता रहे हो सब,
कभी असल में अपना बनाया होता,
ये जो तारीफ़े है अब ये सब बेफिज़ूल है, 
बात होती अलग अगर कभी,
असल में ऐसे सराहा होता...! 

~ गरिमा प्रसाद 🥀

©Garima Prasad 🌻
#life #hindi #hindipoetry #kavita
मेरे आख़री वक़्त में रोने वालो,
मुझे जीते जी कभी हंसाया होता,
ये जो लगी है जाने पर आज भीड़ मेरे,
कभी जीते जी ही ऐसा मेला लगाया होता,
आज सुनने को जो आवाज़ मेरी बेचैन हो रहे हो, 
कभी दो वक़्त ही साथ हमारे बिताया होता,
ये जो अब मुझे अपना बता रहे हो सब,
कभी असल में अपना बनाया होता,
ये जो तारीफ़े है अब ये सब बेफिज़ूल है, 
बात होती अलग अगर कभी,
असल में ऐसे सराहा होता...! 

~ गरिमा प्रसाद 🥀

©Garima Prasad 🌻
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