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गहरा वो सागर भी था ..गहरी उनकी आंखे.. पतझड़ में अक

गहरा वो सागर भी था ..गहरी उनकी आंखे..
पतझड़ में अक्सर टूट जाती ही है बेजान सी साखें..
पत्तों का दोष कहां दिखता उनकी खामोशी में..
मौसम की अंगराई थी ..सोई थी जब वो मदहोशी में..
मोतियों सा ढूंढ़ता फिर रहा रूह वो नायाब ..
गौर भी फरमाएंगे ..दे दे कोई हमें तो जवाब..
सितारों ने ओढ़नी बना डाली कुछ चमचमाती रातों में..
कहां मिलता है अब इश्क़ किसी की याद में शायरी लिख जाने में..
अरे ज़िंदादिल! चेहरों में ढूंढने से अब प्यार कहां मिलता?
अब नहीं कोई बाग में फूल.. खुदा के इशारों में हूं खिलता।।। इश्क़ कहां मिलता???
गहरा वो सागर भी था ..गहरी उनकी आंखे..
पतझड़ में अक्सर टूट जाती ही है बेजान सी साखें..
पत्तों का दोष कहां दिखता उनकी खामोशी में..
मौसम की अंगराई थी ..सोई थी जब वो मदहोशी में..
मोतियों सा ढूंढ़ता फिर रहा रूह वो नायाब ..
गौर भी फरमाएंगे ..दे दे कोई हमें तो जवाब..
सितारों ने ओढ़नी बना डाली कुछ चमचमाती रातों में..
कहां मिलता है अब इश्क़ किसी की याद में शायरी लिख जाने में..
अरे ज़िंदादिल! चेहरों में ढूंढने से अब प्यार कहां मिलता?
अब नहीं कोई बाग में फूल.. खुदा के इशारों में हूं खिलता।।। इश्क़ कहां मिलता???