मैं आईना देखता रहा और खुद में ढूँढता रहा वो ऐब जिसकी खातिर उसने छोड़ दिया था मुझको कितना फासला था उसकी आवाज़ और उसके लफ़्ज़ों में उसके चेहरे और उसके जज़्बातों में उसके होने और उसके दिखने में लफ्ज़ कुछ; आवाज़ कुछ; आँखे कुछ; जज़्बात कुछ, सब एक दूसरे के झूठ की गवाही देते रहे कम्बख्त ने कहा तुम मेरी बेबसी क्यूँ नहीं समझ पाते शायद, यही ऐब था मुझमें #ऐब@LOVEGRAPHY