आफ़ताब महत़ाब में छिड़ गया संग्राम दे दिया एहस़ान फ़रामोशी का इल्ज़ाम सुनकर महत़ाब के दिल के टुकड़े हो गए रूठकर महत़ाब आफ़ताब से कह गए तू अपनी रौशनी पर गुरूर न कर आफ़ताब आज के बाद तू रौशन न करना महत़ाब रौशन मेरी तकदीर.. तो मेरा क़सूर इसमें क्या यही लिखी मेरी तकदीर, तेरी तकदीर तो क्या तू अपनी रौशनी समेट सके तो समेट ले तेरी रौशनी को मुझ तक पहुंचने न दे धीरे धीरे दिन गुज़रे चांद छटने लगा और चांद, अमावस का चांद लगने लगा बहुत मुस्कुराया आज चांद खुश होकर मुद्दत बाद अपने असली रूप को देखकर जैसा भी था उसका वो ही तो रूप था इसमें किसी का भी एहसान जो ना था आज भी स्वाभिमान का एक दिन अमावस को मनाता है पूरा चांद बनकर दुनिया के लिए अब भी मुस्कुराता है ©Swati kashyap #महताब#आफताब#स्वाभिमान#संग्राम#nojotopoetry#nojotowrites#nojotonews#nojoto