ये आँखों नींद है और ख़्वाब कुछ नहीं
ये होंटों प्यास है सैराब कुछ नहीं
ये चेहरे अपने कभी तुम बिगाड़ो तो
ऐ लड़कों तब कहना तेज़ाब कुछ नहीं
निवाले अपने सभी याद रखते हैं
सौ गाँव डूबे हैं सैलाब कुछ नहीं
ख़ुदा तो रस्ते वहाँ से निकाले है
जहाँ ये दिल कहे अस्बाब कुछ नहीं
ये आँखों नींद है और ख़्वाब कुछ नहीं
ये होंटों प्यास है सैराब कुछ नहीं
शाह मीर खान भागलपुरिया
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